"रक्षा बंधन के त्यौहार का महत्व और क्यों मनाते है ये त्यौहार- Raksha Bandhan" - "Dil Ki Awaaz: Poetry & Articles Blogs"

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Sunday, July 26, 2020

"रक्षा बंधन के त्यौहार का महत्व और क्यों मनाते है ये त्यौहार- Raksha Bandhan"

रक्षा बंधन के त्यौहार का महत्व और क्यों मनाते है ये त्यौहार

रक्षा बंधन हिन्दू धर्म का त्यौहार है जो हर साल सवर्ण की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षा बंधन का त्यौहार पुरे देश में धूमधाम और हर्सौलास से मनाया जाता है।
भारत के सभी राज्यों में रक्षा बंधन का त्योहार पूरे धूमधाम से मनाया जाता है।।
रक्षा बंधन का त्यौहार भाई - बहन का पवित्र रिश्ता, प्रसिद्ध त्यौहार होता है. ये भाई- बहन के बीच का प्यार को दर्शाता है. ये त्यौहार आम तौर पे भाई-बहिन का त्यौहार माना जाता है.
रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य होता है।।
इस् दिन बहन अपने भाइयों की लम्बी उमर, उनकी खुब तराकी के लिए भगवान से मनोकामना करती है। भाई भी अपने बेहनो की लम्बी उमर और अच्छे स्वास्थ के लिए भगवान से मनोकामना करते हैं।।

हर साल रक्षा बंधन जुलाई या अगस्त के महीने में ही मनाया जाता है। इस साल भी रक्षा बंधन का त्यौहार 3 अगस्त 2020 की तारीख को मनाया जा रहा है। क्युकि 3 अगस्त को सवर्ण का पूर्णिमा पर रहा है।।

"रक्षा-बंधन-के-त्यौहार-का-महत्व-और-क्यों-मनाते-है-ये-त्यौहार-  Raksha-Bandhan"


रक्षा बंधन का अनमोल रिश्ता एक रेशमी धागे से बंधा होता है। जहाँ भाई अपनी बहनों को ताह जीवन उनकी रक्षा करने का वादा करते है। रक्षा बंधन और रक्षा धागे का बहुत ज्यादा महत्तव होता है। इस त्यौहार में सिर्फ बहनें ही अपने भाइयों की कलाई पे रक्षा धागा जो की रेशम या स्वर्ण से बना होता है उसको बांधती है और भाई अपनी बहनों को राखी के बदले कुछ उपहार भी देते है जो सगुन के रूप में माना जाता है। ये उपहार एक तरह से सगुन ही होता है जो आशीर्वाद और स्नेह के रूप में भाइयो की तरफ से बहनो को मिलता है। रक्षा बंधन के त्यौहार के दिन भाई- बहन का रिश्ता और भी अटूट हो जाता है।।

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रक्षा बंधन का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व माना जाता है। आइये जानते है की आखिर रक्षा बंधन का पर्व क्यों मनाते है।

1. राजा बलि और माता लक्ष्मी की कहानी।

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माता लक्ष्मी के द्वारा राजा बलि को रक्षा धागा बांधा गया था। कहा गया है कि राजा बलि ने कठिन तपस्या और त्याग कर स्वर्ग पर इन्द्र देव के स्थान पर अपना अधिकार और स्थान प्रपात करने की कोशिस की थी। राजा बलि की बल देख सभी देवगण इंद्रा देव समेत डर गए और भगवान विष्णु से गुहार लगाये और प्राथना की, हे प्रभु हमे इस दुष्ट राजा बलि से बचाए और हमारी रक्षा करे।

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भगवान विष्णु ने उस काल में ही वामन रुप का धारण कर राजा बलि क समीप पहुँचे और उनसे भीखछा अर्चना को पहुचे. उन्होंने राजा बलि से भीखछा में तीन पग भूमि भीख में मांग लिया था। राजा बलि ने भगवान विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे दी। गुरु शुक्राचार्य मना करते रहे पर राजा बलि ने उनकी एक ना सुनी। भगवान विष्णु ने तीन पग भूमि क रूप में आकाश, पाताल और धरती नाप ली और दान में ले लिया।।

राजा बलि भी बहुत चतुर और चलाख राजा था उसने इस दान के बदले में भगवान विष्णु को हर समय अपने सामने रहने और उनकी सेवा करने का वचन ले लिया। ये सब देख माँ लक्ष्मी परेसान होगयी। फिर नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को सुझाव दिया की अगर माता राजा बलि को रक्षा सूत्र बांध दे तोह भगवान विष्णु उनके पास वापस आ सकते है। माता लक्ष्मी ने नारद जी की बात मान ली और रक्षा सूत्र ले कर पहुँच गयी राजा बलि क पास और कहा की हे राजन मैं आपको पूरी आत्मा और मन से अपना भाई सुविकार करती हु, और ये रक्षा धागा ले कर बड़े दूर से आयी हु अगर आपकी आज्ञा हो तोह क्या मैं रक्षा सूत्र आपकी कलाई पर बांध दो और आपको अपना भाई बना सकती हूँ। राजा बलि तयार होगये और माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर अपने हाथों से रक्षा सूत्र बांध कर इस पवित्र बंधन की शुरुआत की। राजा बलि खुश होकर भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर उनको माता लक्ष्मी क साथ भेज दिया।।
इसी समय से रक्षा बंधन का ये अटूट बंधन का त्यौहार का शुरुआत हुआ था।

2. भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कहानी।

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द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को बांधा है रक्षा सूत्र। शिशुपाल के साथ युद्ध करते समय,जब शिशुपाल का वध हुआ तभी भगवान कृष्णा की ऊँगली कट गयी थी, ये देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी से टुक्रा फाढ़ भगवान कृष्णा की ऊँगली पर बाँधी थी और भगवान कृष्णा ने उसी समय द्रौपदी को वचन दिया था की हर पल उनकी रक्षा करेंगे, जब भी द्रौपदी किसी तकलीफ या कठिनाई में होंगी भगवान कृष्णा उनकी रक्षा और सहायता करेंगे।

जब पांडव शतरंज के जूए में द्रौपदी को हार बैठे थे, तब कौरवों ने द्रौपदी का चीर हरण करने की ठानी थी, द्रौपदी को पुरे सभा में उनके बाल पकड़ कर खीच सभा में दुशासन लेकर आया था और दुर्योदन के कहने पर दुशासन ने द्रौपदी की साड़ी उतार उनका चीड हरण करना आरम्भ किया। द्रौपदी रोते बिलखते उस सभा में बैठे अपने पति और मौजूद सभी लोगो से हाथ जोड़ प्रार्थना करने लगी की इस अनर्थ को रोक लीजिए। जब किन्ही ने भी उनकी प्रार्थना नहीं सुनी और बात नहीं मानी, तब द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को पुकार लगायी और रोते बिलखते कहने लगी हे कृष्ण मेरी लाज बचाओ मेरे रक्षा सूत्र बांधने पर दिए हुए अपने वचन को निभाओ. मेरी पुकार सुनो कृष्ण, अपनी बहन की लाज बचाओ। भगवन कृष्णा उनकी पुकार सुन सभा में पहुच द्रौपदी की लाज बचाई और निभाया अपने दिए हुए वचन को पूरी सिद्धता के साथ. भाई-बहिन का ऐसा प्रेम देख सब आत्म विभोर होगये।।

3. महाभारत में रक्षा बंधन की कहानी।

कौरवों और पाण्डव के बीच हो रही युध क समय भी भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहे थे की हे राजन अपने सभी सैनिकों के बीच में रक्षा बंधन का त्यौहार मनवाओ और फिर तम्हारी जीत निश्चित है। ये रक्षा बंधन एक अटूट और पवित्र बंधन है, जो एक दूसरे को अपने स्नेह से बांधे रखेगा।।
इसलिए ये त्यौहार महाभारत के समय से भी मनाया जाता है।।

4. रानी कर्णावती और राजा हुमायूँ की कहानी।

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उस समय रानी कर्णावती चित्तौरगढ़ की महारानी हुआ करती थी, महाराजा राणा सांगा के देहांत के बाद रानी कर्णावती पर राज पाट का भार आगया था।
और ऐसे में सुल्तान बहादुर शाह ने रानी कर्णावती के राज्य पर हमला कर दिया था, ऐसे में रानी कर्णावती बहुत अकेले पड़ गयी और सोच में पड़ गयी कि अपने राज्य को इससे कैसे बचाये।
तब उन्होंने राजा हुमायूं को रक्षा सूत्र भेज उनसे अपने भाई होने और उनकी रक्षा करने की इच्छा जताई। राजा हुमायूँ ने उनका भेजा हुआ रक्षा सूत्र को ग्रहण किया और रानी कर्णावती को अपनी बहिन के रूप सुविकर उनको वचन दिया कि हर हाल में राजा हुमायूँ उनकी रक्षा करेंगे और ये केह हुमायूँ ने अपनी सेना की एक टुकड़ी राजा बहादुर शाह से युद्ध करने को भेज दिया। और अंत में सुल्तान बहदुर शाह की सेना को पीछे हटना पड़ा और इस तरह रानी कर्णावती की जीत हुई। फिर रानी कर्णावती रक्षा बंधन का ये त्यौहार हर साल मनाने लग गयी और खुद हुमायूँ के राज्य में जाकर उनको रक्षा सूत्र बांधा करती थी।।
इस तरह से रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा पुरे देश में।।
इन् कहानियो को देख और समझ कर ये प्रतीत परता है की भाई-बहन का रिश्ता कितना अनमोल और पवित्र होता है।।

“चन्दन की डोरी फूलों का हार, आये सावन का महिना और राखी का त्यौहार, जिसमे है झलकता भाई-बहन का प्यार…”

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रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है।
बहने एक थाल में रक्षा धागा, तिलक के लिए रोली, डीप, चावल अछत के लिए और मिठाई मुँह मीठा करने के लिए सजा लेती है। बहनें भाइयो के सर पे पहले रोली से तिलक करती है, चावल का अछत छींटती है, रक्षा धागा बांधती है, उसके बाद दीपक से उनकी आरती उतारती है, फिर अंत में उनका मुंह मीठा कराती है मीठे से।
इसके उपरांत भाई अपने बहनों को बहुत सुन्दर उपहार देते है।।
तोह पुरे देश में ऐसे मनाया जाता है रक्षा बंधन का ये पवित्र पर्व पुरे हर्षोउल्लास से।।।

                                            



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