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Tuesday, June 9, 2020

Inspirational Hindi Poetry: "रिश्तों की असली पहचान"

 रिश्तों की असली पहचान

रिश्तों की लंबी कतार नहीं चाहिए मुझे, तन्हा भी मैं खुश हूँ। बस दो ही रिश्ते ऐसे बनाऊँ, जो हर सुख-दुःख में मेरे साथ खड़े हों।

Inspirational-Hindi-Poetry: "रिश्तों-की-असली-पहचान"

अब थक गई हूँ झूठे रिश्तों का साथ निभाते-निभाते। अकेले चलना मंजूर है मुझे, पर झूठे और फरेबी रिश्तों का साथ मंजूर नहीं।

तनहा और अकेली भी खुश हूँ मैं, नहीं चाहिए रिश्तों की हजारों भीड़। क्योंकि रिश्तों ने दिए हैं धोखे हजार।

Inspirational-Hindi-Poetry: "रिश्तों-की-असली-पहचान"

निकल पड़ी हूँ अपनी मंज़िल की तलाश में। रास्ते लंबे ज़रूर हैं, पर मुश्किल नहीं। अपनी मंज़िल को पा लूँगी मैं एक दिन, यक़ीन है मुझे खुद पर। चाहे रास्ते अब खुद ही क्यों न बनाने पड़ें।

टूटकर गिरी ज़रूर हूँ, पर बिखरी नहीं। संभलना सीख लिया है मैंने, क्योंकि कुछ रिश्ते ही ऐसे पाए हैं मैंने।

दिल ज़रूर टूटा है, पर मैं टूटी नहीं। अब और भी मज़बूत हो गई हूँ, एक चट्टान की तरह। अब झुका न पाएगा जमाना, अब रोक न पाएगा मुझे मेरी मंज़िल पाने से। किया है वादा मैंने खुद से।

रिश्तों की लंबी कतार नहीं चाहिए मुझे, तन्हा खुश हूँ मैं।











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