हिंदी कविता: जीवनसाथी संग प्रेम
सुनो न, ज़िंदगी वीरान थी मेरी,
तेरे आने से फिर से रंगीन हो गई है।
जीवन भर तेरा साथ निभाने का वादा करता हूँ,
जब तेरा हाथ थामा है तो उम्रभर साथ निभाऊँगा।
तेरे आने से फिर से रंगीन हो गई है।
जीवन भर तेरा साथ निभाने का वादा करता हूँ,
जब तेरा हाथ थामा है तो उम्रभर साथ निभाऊँगा।
अब एक वादा तुझसे भी चाहता हूँ,
कि तू कभी छोड़कर न जाएगी हमारे आशियाने को।
क्योंकि बहुत प्यार से सींचा है हमने
अपने प्यार के इस आशियाने को।
ये जो टूटा तो मेरा दिल भी टूट जाएगा,
जो चाहकर भी कभी जुड़ न पाएगा।
सुनो न, क्या सुनाऊँ तुम्हें अपने दर्दे-दिल की दास्तान,
कि बहुत दिनों बाद मिले हो आज फ़ुरसत में।
चलो न, फिर से वो पुरानी प्यारी यादें ताज़ा करें।
आज बस तुम्हें ही सुनना है मुझे,
अपनी तो तुम्हें बहुत सुनाई है सपनों में आकर।
आओ, जी लें एक बार फिर,
एक-दूसरे की आँखों में खोकर भूल जाएँ पूरी दुनिया को।
बस याद रखें बीती यादें और सुनहरे पल।

सुनो न, तेरे आने की दस्तक तो हुई दिल में,
और फिर तुमसे प्यार हुआ।
बेशुमार हुआ, बार-बार हुआ, हर बार हुआ।
पर तेरे जाने की दिल को कोई दस्तक क्यों न हुई,
फिर ये ब्रेकअप कैसे हुआ हमारे रिश्ते का।
सुनो न, तुम्हारे प्यार करने का भी क्या अंदाज़ हुआ करता था,
वो भी क्या दिन हुआ करते थे।
तेरे प्यार का एहसास भी क्या खूब हुआ करता था,
हम खुद में ही खोए-खोए से रहा करते थे।
पर तेरे जाने के बाद हम खुद के तो हुए,
पर कोई हमारा न हुआ।



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